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और सांई बाबा लौट गए... (लघु कथा)

>> Wednesday, July 28, 2010

गुरूपूर्णिमा का दिन, मुहल्ले के सांई बाबा मंदिर में भंड़ारा का आयोजन । मंदिर बनवाने वाली महिला ही मुख्य आयोजक,  उनके आदेशानुसार भंडारा चालू था । एक- दो घंटे तक मुहल्ले की भीड़ के साथ-साथ आसपास के ­झुग्गी-­झोपड़ी के गरीब लोग भी एकत्रित थे, दोनों वर्गों के लिए अलग-अलग लाईन और व्यवस्था देख रहे लोगों का इन दोनों लाईन के लोगों के लिए अलग-अलग व्यवहार ।
  मुहल्ले के लोगों को जब प्लेट मिल जाती तब जाकर गरीबों का नंबर आता था। अचानक मंदिर मालकिन आकर बोली ‘बस अब भंडारा खत्म ’, उसकी बेटी पास आकर बोली ‘मम्मी अभी तो काफी रखा है’। मम्मी ने उसे किनारे कर कहा ‘मेरे आॅफिस का पूरा स्टाफ आने वाला है’।
 सारे गरीब मायूस होकर लौट रहे थे । किसी ने नहीं देखा ‘बाबा ’आए और लौट भी गए पर खाली हाथ ।

19 comments:

हरीश कुमार तेवतिया July 28, 2010 at 5:11 AM  

अजय जी आजकल लोगों के पास वो नजरें नहीं जो होनी चाहिए

Unknown July 28, 2010 at 5:13 AM  

यही होता है..ज्यादातर भंडारा में...अच्छी लघु कथा

Unknown July 28, 2010 at 5:14 AM  

सब दिखावा है...इस कलयुग में

हरीश कुमार तेवतिया July 28, 2010 at 5:16 AM  

केवल पैसे की चका चौंद ही रह गई है



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Unknown July 28, 2010 at 5:17 AM  

बडी़ विडम्बना है...

Ra July 28, 2010 at 5:28 AM  

सच के करीब ..विचारणीय ,,,ऐसा ही होता है...?

nonsense times July 28, 2010 at 6:13 AM  

जबकि बाबा का संदेश है कि नर सेवा ही नारायण सेवा है....

दीपक 'मशाल' July 28, 2010 at 2:28 PM  

बहुत अच्छी मार की लघुकथा के माध्यम से अजय जी..

vandana gupta July 29, 2010 at 3:54 AM  

आज का सच दिखा दिया……………॥बहुत खूब्।

vandana gupta July 29, 2010 at 4:00 AM  

आज का सच कह दिया।

Unknown July 29, 2010 at 11:30 AM  

yatharthvadi smaj ka sach

Urmi July 29, 2010 at 10:09 PM  

सच्चाई को आपने बखूबी शब्दों में पिरोया है! उम्दा प्रस्तुती!

खबरों की दुनियाँ July 31, 2010 at 10:22 PM  

अच्छा नहीं लगा यह सब जानकर ।

Urmi August 2, 2010 at 1:17 AM  

मित्रता दिवस की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनाएँ!

Apanatva August 2, 2010 at 5:57 AM  

Aapkee ye laghukatha tathakathit dharmatma logo kee maansikta darsha gayee . laxmee jee ka janha aasheervaad hai bus unhee ka bolbaala hai samaj me .Ye ek katu saty hai .

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