जब आपके घर कोई खास मेहमान आए और आपने उनसे पूछा ‘क्या लेंगें ?’ और मेहमान ने कहा कि ‘कुछ नहीं’ तो आप लगते हैं झुंझलाने कि आखिर कहां से लाउं ‘कुछ नहीं’ .... आखिरकार अब इस समस्या का भी हल मिल ही गया...आप खुद देख लीजिए...
अब आपका कोई दोस्त कहे कि ‘कुछ नहीं लेंगे’ तो सर्व करिए उनको ‘कुछ नहीं’
ठीक है कि इस शराब का नाम कुछ नहीं है लेकिन इसी कुछ नहीं है ने कुछ लोगों को कहीं का नहीं छोड़ा है. अपने मित्र को शरबत पिलाना चाहिए... आप शराब परोस रहे हैं शराब की बोतल में रूह-आफजा भरकर भी उसे बेवकूफ बनाया जा सकता है. नशा है खराब झन पीहूं शराब.
"शराब की बोतल में रूह-आफजा भरकर भी उसे बेवकूफ बनाया जा सकता है"
राजकुमार भाई,क्या आपने अजय के मित्रों को इतना अहमक समझ लिया कि उन्हे रुहअफ़ज़ा और उसकी रुह का पता ही नहीं है। अजय के सारे दोस्त आला दर्जे के जहीन हैं और देखिए आखिर ढुंढ लाए ना काम की चीज "कुछ नहीं"
मुझे फ़िर आना पड़ा,एक सवाल लेकर्। जब एक आधी उमर का जवान,बाल काले कराने लगें,मुंछो की सफ़ेदी छिपाने लगे,दिन में तीन चार बार बालों में कंघी फ़ेरने लगे,फ़ेयर एन्ड लवली चुपड़ कर गोरा बनने लगे। चार्ली का सेंट लगाने लगे,तो क्या समझ में आता है?
पिछले 24 वर्षों से पत्रकारिता में पत्रकार-कार्टूनिस्ट और ग्राफिक डिजाइनर के रूप में कार्यरत. दैनिक नवभारत, दैनिक भास्कर, हिंदुस्तान टाइम्स और दैनिक हरिभूमि,राजस्थान पत्रिका रायपुर (छत्तीसगढ़) में कार्यानुभव. वर्तमान में नई दुनिया (दैनिक जागरण ग्रुप)रायपुर संस्करण में कार्यरत . मेरे बनाए ग्राफिक्स को देखने के लिए देखें मेरा दूसरा ब्लॉग-artistajay.blogspot.com
मोबाईल नंबर 09303508176. और 07389921927
9 comments:
ठीक है कि इस शराब का नाम कुछ नहीं है लेकिन इसी कुछ नहीं है ने कुछ लोगों को कहीं का नहीं छोड़ा है.
अपने मित्र को शरबत पिलाना चाहिए... आप शराब परोस रहे हैं
शराब की बोतल में रूह-आफजा भरकर भी उसे बेवकूफ बनाया जा सकता है.
नशा है खराब झन पीहूं शराब.
बस आ ही रहे हैं,
रास्ते में है,
आते ही "कुछ नहीं" ही लेगें
हम-तुम और अवधिया जी।
"शराब की बोतल में रूह-आफजा भरकर भी उसे बेवकूफ बनाया जा सकता है"
राजकुमार भाई,क्या आपने अजय के मित्रों को इतना अहमक समझ लिया कि उन्हे रुहअफ़ज़ा और उसकी रुह का पता ही नहीं है। अजय के सारे दोस्त आला दर्जे के जहीन हैं और देखिए आखिर ढुंढ लाए ना काम की चीज "कुछ नहीं"
अरे यार,
फ़िर आ गये"कुछ नही"के चक्कर में
क्या करें दिल मानता ही नहीं है,
अगर मानाता है तो जानता नही है
और जान ले तो फ़िर टालता नही है।
मुझे फ़िर आना पड़ा,एक सवाल लेकर्।
जब एक आधी उमर का जवान,बाल काले कराने लगें,मुंछो की सफ़ेदी छिपाने लगे,दिन में तीन चार बार बालों में कंघी फ़ेरने लगे,फ़ेयर एन्ड लवली चुपड़ कर गोरा बनने लगे। चार्ली का सेंट लगाने लगे,तो क्या समझ में आता है?
अच्छी पोस्ट,बेहतरीन
यह पोस्ट ब्लाग4वार्ता पर भी है
ललित भाई..आपको पोस्ट पसंद आई...मतलब मेरी पोस्ट सुपर-डूपर हिट हो गई..धन्यवाद
हम भी "कुछ नहीं" ही लेगें ...अजय भाई जुगाड रखना
यहां उपलब्ध हो सके ..उसके लिए क्या करना पडेगा..आबकारी विभाग से निवेदन करना पडेगा क्या.."कुछ नहीं" के लिए कुछ तो करना पडेगा..
Post a Comment