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क्या आप ‘कुछ नहीं लेंगे’....?

>> Tuesday, July 13, 2010

जब आपके घर कोई खास मेहमान आए और आपने उनसे पूछा ‘क्या लेंगें ?’ और मेहमान ने कहा कि ‘कुछ नहीं’ तो आप लगते हैं झुंझलाने कि आखिर कहां से लाउं ‘कुछ नहीं’ .... आखिरकार अब इस समस्या का भी हल मिल ही गया...आप खुद देख लीजिए...
 

अब आपका कोई दोस्त कहे कि ‘कुछ नहीं लेंगे’ तो सर्व करिए उनको ‘कुछ नहीं’   

9 comments:

राजकुमार सोनी July 13, 2010 at 3:47 AM  

ठीक है कि इस शराब का नाम कुछ नहीं है लेकिन इसी कुछ नहीं है ने कुछ लोगों को कहीं का नहीं छोड़ा है.
अपने मित्र को शरबत पिलाना चाहिए... आप शराब परोस रहे हैं
शराब की बोतल में रूह-आफजा भरकर भी उसे बेवकूफ बनाया जा सकता है.
नशा है खराब झन पीहूं शराब.

ब्लॉ.ललित शर्मा July 13, 2010 at 3:50 AM  

बस आ ही रहे हैं,
रास्ते में है,
आते ही "कुछ नहीं" ही लेगें
हम-तुम और अवधिया जी।

ब्लॉ.ललित शर्मा July 13, 2010 at 4:30 AM  

"शराब की बोतल में रूह-आफजा भरकर भी उसे बेवकूफ बनाया जा सकता है"

राजकुमार भाई,क्या आपने अजय के मित्रों को इतना अहमक समझ लिया कि उन्हे रुहअफ़ज़ा और उसकी रुह का पता ही नहीं है। अजय के सारे दोस्त आला दर्जे के जहीन हैं और देखिए आखिर ढुंढ लाए ना काम की चीज "कुछ नहीं"

ब्लॉ.ललित शर्मा July 13, 2010 at 4:51 AM  

अरे यार,
फ़िर आ गये"कुछ नही"के चक्कर में
क्या करें दिल मानता ही नहीं है,
अगर मानाता है तो जानता नही है
और जान ले तो फ़िर टालता नही है।

ब्लॉ.ललित शर्मा July 13, 2010 at 4:57 AM  

मुझे फ़िर आना पड़ा,एक सवाल लेकर्।
जब एक आधी उमर का जवान,बाल काले कराने लगें,मुंछो की सफ़ेदी छिपाने लगे,दिन में तीन चार बार बालों में कंघी फ़ेरने लगे,फ़ेयर एन्ड लवली चुपड़ कर गोरा बनने लगे। चार्ली का सेंट लगाने लगे,तो क्या समझ में आता है?

ajay saxena July 14, 2010 at 2:21 AM  

ललित भाई..आपको पोस्ट पसंद आई...मतलब मेरी पोस्ट सुपर-डूपर हिट हो गई..धन्यवाद

Unknown July 14, 2010 at 2:23 AM  

हम भी "कुछ नहीं" ही लेगें ...अजय भाई जुगाड रखना

Unknown July 14, 2010 at 2:27 AM  

यहां उपलब्ध हो सके ..उसके लिए क्या करना पडेगा..आबकारी विभाग से निवेदन करना पडेगा क्या.."कुछ नहीं" के लिए कुछ तो करना पडेगा..

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