क्या बात है छेड़ाछाडी कुछ होता भी है रावण तो रावण है ना अब ये बात उसको कौन समझाए किन्तु आज कल रावण से ज्यादा राखी सावंत का जलवा है सोचो अगर रावण को ही छेड़ दिया जय तो क्या वो चुप बैठेगा नहीं ना
पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा अनिवार्य तो है पर उसे प्रमुख विषय बना चाहिए (विज्ञान और गणित जैसा)और उसमे ऐसी कहानिया उन्हें बचपन में पढ़नी चाहिए जिनसे अगर भविष्य में भटकें भी तो थोड़े से उपदेश से ही लाइन पर आ जाएँ , इससे मुझे लगता है छेड़ छाड़ की घटनाओ में कमी आएगी
सज्जनों माफी चाहता हूं कि मै निरूपा राय को निरुपमा राय समझता था.. धन्यवाद ..दुबारा ख्याल रखूंगा... मेरी पोस्ट में आए सभी ब्लागर का आभार.. आभार उस ब्लागर का भी जिसने नापसंद का चटका लगा कर मुझे बेहतर पोस्ट लिखने के लिए प्रेरित किया...
पिछले 24 वर्षों से पत्रकारिता में पत्रकार-कार्टूनिस्ट और ग्राफिक डिजाइनर के रूप में कार्यरत. दैनिक नवभारत, दैनिक भास्कर, हिंदुस्तान टाइम्स और दैनिक हरिभूमि,राजस्थान पत्रिका रायपुर (छत्तीसगढ़) में कार्यानुभव. वर्तमान में नई दुनिया (दैनिक जागरण ग्रुप)रायपुर संस्करण में कार्यरत . मेरे बनाए ग्राफिक्स को देखने के लिए देखें मेरा दूसरा ब्लॉग-artistajay.blogspot.com
मोबाईल नंबर 09303508176. और 07389921927
24 comments:
ऐसे ‘रावणों’ का वध भी वैसा ही होना चाहिए...
बहुत ही उम्दा कार्टून बनाया है आपने। आपको बधाई।
यही सच्चाई भी है। पुरूषवादी समाज की मानसिकता ही कुछ ऐसी है।
मत सता लड़की को, ये पाप होगा।
तू भी किसी दिन, किसी लड़की का बाप होगा।।
... bahut khoob... jhakkaas !!!!
सरेआम ऐसे लोगों की जम कर पिटाई होनी चाहिए...तब शायद ये सुधरें...
लडकियों को चाहिए कि ऐसे हालात से जमकर मुकाबला करें...चाहे इसमें उनकी जान ही क्यों न चली जाए...
नमन है आपको अजय जी..
sham...sham..men
वो इसलिए कि निरूपा रॉय का बेटा ,फरीदा जलाल का भाई
भी बाज़ार में ऐसी ही नज़र रखता है .
आईये जानें ....मानव धर्म क्या है।
आचार्य जी
वाह... बहुत सुंदर
शायद आपका तात्पर्य निरूपा राय से है ।
प्रभावशाली अभिव्यक्ति ।
अजय जी निरुपमा राय नहीं निरूपा राय...
बेचारा रावण , एक बार गलती की और हमेशा के लिए बुक हो गया :)
क्या बात है छेड़ाछाडी कुछ होता भी है रावण तो रावण है ना अब ये बात उसको कौन समझाए किन्तु आज कल रावण से ज्यादा राखी सावंत का जलवा है सोचो अगर रावण को ही छेड़ दिया जय तो क्या वो चुप बैठेगा नहीं ना
रावण जागता नहीं है जगाया जाता है
पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा अनिवार्य तो है पर उसे प्रमुख विषय बना चाहिए (विज्ञान और गणित जैसा)और उसमे ऐसी कहानिया उन्हें बचपन में पढ़नी चाहिए जिनसे अगर भविष्य में भटकें भी तो थोड़े से उपदेश से ही लाइन पर आ जाएँ , इससे मुझे लगता है छेड़ छाड़ की घटनाओ में कमी आएगी
सटीक व्यंग्य ..!!
सज्जनों माफी चाहता हूं कि मै निरूपा राय को निरुपमा राय समझता था.. धन्यवाद ..दुबारा ख्याल रखूंगा... मेरी पोस्ट में आए सभी ब्लागर का आभार..
आभार उस ब्लागर का भी जिसने नापसंद का चटका लगा कर मुझे बेहतर पोस्ट लिखने के लिए प्रेरित किया...
Very true.
gaharaa vyangya..badhai ajay...
मेरे गुरू भाई आदरणिय गिरीश पंकज जी पहली बार मेरे ब्लाग में आए..मैं धन्य हुआ आपका आभार....संजीत जी का भी आभार
this is called double standard
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