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पहचानें इन्हें ..ये हैं कौन ..?

>> Sunday, July 11, 2010


आप में से शायद कोई कहे ...अरे ये तो गुरूदत्त साहब हैं!!!

कोई कह सकता है कि आलोक नाथ हैं..
सज्जनों भले ही यह चित्र पुराने हैं, लेकिन इनका महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह एक ऐसे साहित्यकार का चित्र हैं जो लगातार सृजनरत हैं, यदि आप इन चित्रों को नहीं पहचान पा रहें हैं तो मैं थोड़ा और क्लू देता हूं। ये साहब बडे ब्लागर तो हैं ही साथ ही 32 किताबों के रचियता भी हैं, और उनकी 4-5 किताबें जल्द ही प्रकाशित होने वाली हैं ।

तीस साल से पत्रकारिता से जुड़े रहने के बाद इस सुर्दशन व्यक्तित्व के धनी साहब ने भारतीय एवं विश्व साहित्य की अनुवाद-पत्रिका का संपादन कर साहित्य की अनवरत् साधनारत् हैं, इस साधना का परिणाम है कि आज वे अपनी सुधि पाठकों के बीच खासे लोकप्रिय हैं। इनके प्रकाशित पुस्तकों में सात व्यंग्य संग्रह- ट्यूशन शरणम गच्छामि, भ्रष्टाचार विकास प्राधिकरण, ईमानदारों की तलाश, मंत्री को जुकाम, मेरी इक्यावन व्यंग्य रचनाएँ, नेता जी बाथरूम में और हिट होने के फार्मूले। तीन व्यंग्य उपन्यास- मिठलबरा की आत्मकथा, माफिया (दोनों पुरस्कृत), एवं पॉलीवुड की अप्सरा। नवसाक्षरों के लिए बारह पुस्तकें, बच्चों के लिए चार पुस्तकें। एक ग़ज़ल संग्रह, एक हास्य चालीसा। चार व्यंग्य संग्रहों में रचनाएँ संकलित हैं। कुछ रचनाओं का तमिल, उर्दू, कन्नड, अंग्रेजी, नेपाली, सिंधी, मराठी, पंजाबी, छत्तीसगढ़ी आदि में अनुवाद किया है।

व्यंग्य का बहुचर्चित अट्टाहास युवा सम्मान, माफिया के लिए लीलारानी स्मृति सम्मान, एवं मिठलबरा की आत्मकथा के लिए रत्नभारती सम्मान,तीस से ज़्यादा संस्थाओं द्वारा सम्मान-पुरस्कार पाने वाले हमारे ये भाईसाहब विदेश प्रवास में अमरीका, ब्रिटेन, त्रिनिडाड(वेस्टइंडीज) थाईलैंड, मारीशस, श्रीलंका, नेपाल, बहरीन, मस्कट, दुबई जा चुके हैं। अमरीका के लोकप्रिय रेडियो चैनल सलाम नमस्ते से उनका सीधा काव्य प्रसारण हो चुका है।

अब ज्यादा कुछ इनके बारे में लिखना सूरज को आईना दिखाने का काम है...बहरहाल मैं आपको बता दूं कि इक दिन आदरणिय के निवास गया था, वहां मैंने दीवार पर उनकी ये तस्वीरें देखी और फटाफट अपने मोबाइल में कैद किया। उनसे बिना पूछे तस्वीरे ली और आज अपने ब्लाग में पोस्ट के रूप में डाल भी रहा हूं। गौर से देखिए इन चित्रों को जिन मुद्राओं में ये तस्वीरें खिंचवाई गई हैं वह यह बताने के लिए काफी है कि होनहार बिरवान के होत हे चिकने पात....अब तो काफी लोग जान गए होंगे कि ये होनहार सज्जन कौन हैं....?

12 comments:

राजकुमार सोनी July 11, 2010 at 5:00 AM  

अरे अजय गिरीश भईया को हर कोई पहचानता है
तुमने ये अच्छा काम किया
शायद उस रोज जब अपन घर गए थे तब तुम मोबाइल से इसी काम के लिए फोटो ले रहे थे शायद
वाकई एक फोटो तो गुरूदत्त जैसी ही लगती है.
गुरूदत्त जैसी लगती भी इसलिए है क्योंकि वे भी बड़े सृजनकर्मी थे.
तुम तो जानते ही हो गिरीश भाईसाहब ने मेरे किताब की भूमिका लिखी है..
बस इसी 20 जुलाई तक किताब को आना है फिर चलते हैं उनके घर किताब लेकर.

girish pankaj July 11, 2010 at 7:39 AM  

मानना पड़ेगा अजय तुमको. व्यंग्य-चित्र के साथ-साथ तुम व्यक्ति-चित्र खींचने में भी माहिर हो. साधारण से जीव को असाधारण-टाईप का कुछ बना कर पेश कर दिया. यही है बड़प्पन.सदाशयता. इसीकी आज भयंकर कमी है. लेकिन जब तक तुम्हारे जैसे अनुज है, कमी हो नहीं सकती. मैंने कल्पना ही नहीं की थी, कि इस सुन्दर तरीके से लिखोगे. लेकिन तुम तो छुपे हुए रुस्तम निकले . तूलिका के साथ-साथ अब कलम उर्फ़ उंगलियाँ भी चल रही है.वाह. जीयो. इसी तरह सद्भावनाबनाये रखो.

वन्दना अवस्थी दुबे July 11, 2010 at 7:42 AM  

वाह क्या तस्वीरें हैं...सचमुच गुरुदत्त ही लग रहे हैं, गिरीश जी.

खबरों की दुनियाँ July 11, 2010 at 10:24 AM  

ye girish pankaj bhai ji ki tasvire'n hai'n . achchhi hai'n .

ब्लॉ.ललित शर्मा July 11, 2010 at 10:25 AM  

अगर ना भी बताते तो हम पहले चित्र से ही जान चुके थे कि गिरीश भैया हैं।

खुबसूरत चित्र उनके ही होते हैं जो दिल से भी खुबसूरत होते हैं।

बहुत सुंदर

जोहार ले अऊ एक ठिक....

Unknown July 12, 2010 at 3:04 AM  

गिरीश पंकज जी को कौन नहीं जानता...बेहद खूबसूरत तस्वीरें हैं

Unknown July 12, 2010 at 3:16 AM  

रायपुर में रहते हुए भी गिरीश जी से रू-ब-रू मुलाकात तो अभी तक नहीं हो पाई है (आशा है कि आपके सौजन्य से शीघ्र हो जायेगी) किन्तु हमने तो पहचान लिया कि ये गिरीश जी ही हैं। आपने गिरीश जी के बारे में जो कुछ भी लिखा है वह अक्षरशः सही है!

Unknown July 12, 2010 at 3:59 AM  

photo dekh kar buniyad vale alok nath ki yaad aa gayi

Unknown July 12, 2010 at 4:01 AM  

girish pankaj ji ke bare me jaankar khushi hui ki chhattisgah me bhi aise honhaar rahte hai

Unknown July 28, 2010 at 5:01 AM  

thnx! for sharing as well 4 correction

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